वन्दे मातरम गीत बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा संस्कृत में रचा गया है; यह स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्ररेणा का स्रोत था। इसका स्थान जन गण मन के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में पहली राजनीतिक मौके पर गाया गया था। इसका पहला अंतरा इस प्रकार है
वन्दे मातरम।
शस्त्रश्यामलाम, मातरम।,
वन्दे मातरम।
शुभ ज्योत्स्ना द्रुमदल शोभिनिम
सुहासिनी, सुमधुर भाषिणीं,
सुखधाम वरदाम,
वन्दे मातरम।
गद्य रूप 1 में श्री अरबिन्द द्वारा किए गए अंग्रेजी अनुवाद का हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है :
मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूं । ओ माता,
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शान्त,
कटाई की फसलों के साथ गहरा,
माता!
उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही है,
उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है ,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास ,
माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।
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