गुरुवार, 25 सितंबर 2008

खादी व ग्रामोद्योग आयोग: ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम

खादी व ग्रामोद्योग आयोग एक संवैधानिक निकाय है जिसका गठन संसदीय कानून के द्वारा अप्रैल 1957 में किया गया। इसने पूर्ववर्तीअखिल भारतीय खादी एवं ग्राम उद्योग बोर्ड के कार्य को संभाल लिया।

उद्देश्य:


खादी व ग्रामोद्योग आयोग द्वारा निर्धारित किया गया वृहद् उद्देश्य है :

रोजगार प्रदान करने का सामाजिक उद्देश्य।
बिक्रीयोग्य वस्तुओं का उत्पादन करने का आर्थिक उद्देश्य और
जनता में आत्मनिर्भरता एवं सुदृढ़ ग्राम स्वराज की भावना प्रदान करने का व्यापक उद्देश्य।


कार्य:


जहाँ कहीं आवश्यकता हो, खादी और ग्रामोद्योग आयोग को ग्रामीण विकास कार्य से जुड़े अन्य अभिकरणों के सहयोग से ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और ग्रामोद्योग के विकास के लिए योजना, संवर्धन, संगठन और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन का कार्य सौंपा गया है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग के कार्य में निर्माताओं के लिए कच्चे मालों व उपकरणों को सुरक्षित रखना, अर्द्ध संसाधित वस्तुओं के रूप में कच्चे माल के प्रसंस्करण के लिए सामान्य सुविधा केन्द्र का सृजन तथा इन उद्योगों से जुड़े कारीगरों को प्रशिक्षण प्रदान करने के अलावा खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों के विपणन की सुविधाओं हेतु प्रावधान एवं कारीगरों के बीच सहकारिता की भावना को बढ़ावा देना शामिल है। खादी और/अथवा ग्रामोद्योग अथवा हस्तकला उत्पादों की बिक्री एवं विपणन को बढ़ावा देने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग आवश्यकता के अनुसार बाजार में स्थापित अभिकरणों के साथ लिंकेजेज स्थापित कर सकता है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग को खादी और ग्रामोद्योगों के क्षेत्र में लगे उत्पादन तकनीक और उपकरणों के बारे में अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा इससे जुड़ी समस्याओं के बारे में अध्ययन संबंधी सुविधाएं प्रदान करने की भी जिम्मेदारियाँ सौंपी गई है, साथ ही उत्पादकता में बढ़ोत्तरी, कड़ी मजदूरी को कम करना तथा अन्यथा उनके प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में वृद्धि करने एवं ऐसे अऩुसंधान से प्राप्त विशिष्ट परिणामों के लिए प्रचार व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए गैर पारंपरिक ऊर्जा एवं बिजली का उपयोग भी शामिल है।
इसके अतिरिक्त, खादी और ग्रामोद्योग आयोग को खादी और ग्रामोद्योग के विकास और संचालन के लिए संस्थाओं और वैयक्तिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने तथा डिजाइनों या मूलाकृतियों एवं अन्य तकनीकी जानकारी प्रदान करते हुए उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करने का दायित्व सौंपा गया है।
खादी और ग्रामोद्योगी गतिविधियों के क्रियान्वयन में खादी और ग्रामोद्योग आयोग ऐसे कदम उठा सकता है जिससे उत्पादों में गुणवत्ता सुनिश्चिय एवं मानकीकरण हो, साथ ही यह सुनिश्चत हो सके कि खादी और ग्रोमोद्योग उत्पादों में मानकीकरण की पुष्टि हो।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग, खादी और ग्रामोद्योगों के विकास के लिए अनुसंधान अथवा स्थापित चालक परियोजना के अलावा खादी और/अथवा ग्रामोद्योग की समस्याओं के बारे में सीधे अथवा अन्य अभिकरणों के माध्यम से अध्ययन संचालित करा सकता है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग को इस बात का अधिकार प्राप्त है कि वह अपने गतिविधियों के लिए आकस्मिक तौर पर किसी मामले को पूरा करने के अतिरिक्त, किसी एक अथवा सभी मामलों के क्रियान्वयन के उद्देश्य से पृथक संगठन का निर्माण कर सकता है।
खादी एवं ग्रामोद्योग का क्या मतलब है -


खादी का मतलब है ऐसा कोई कपड़ा जो भारत में कपास, सिल्क या ऊनी धागे या किसी पटसन या वैसे ही किसी अन्य धागे का प्रयोग कर हस्तकरघा पर बुना जाता हो।
ग्रामोद्योग का मतलब है नकारात्मक सूची में शामिल विषय को छोड़कर, ग्रामीण क्षेत्र में स्थित कोई उद्योग जो बिजली के उपयोग अथवा उसके बिना किसी वस्तु का उत्पादन करता हो अथवा कोई सेवा प्रदान करता हो और जिसमें प्रति कारीगर अथवा श्रमिक नियत पूंजी निवेश 50 हजार रुपये से अधिक न हो।


ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम


ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम, खादी और ग्रामोद्योग आयोग का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य गाँवों में खादी और ग्रामोद्योग आयोग से मार्जिन राशि और बैंकों से ऋण लेकर नये ग्रामोद्योग की स्थापना कर रोजगार सृजन करना है।


ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम की मुख्य विशेषताएँ :


मार्जिन राशि :

सामान्य वर्ग के लाभार्थियों के लिए: 10 लाख तक की परियोजनाओं के लिए परियोजना लागत की 25 प्रतिशत राशि मार्जिन राशि के रूप में प्रदान की जाएगी। 10 लाख से ऊपर तथा 25 लाख तक की परियोजनाओं के लिए मार्जिन राशि की दर- 10 लाख रुपये का 25 प्रतिशत तथा परियोजना की बाकी लागत का 10 प्रतिशत होगा।
कमजोर वर्ग के लाभार्थियों यथा अनुसूचित जाति /जनजाति/ अन्य पिछड़े वर्ग/भूतपूर्व सैनिक/अल्पसंख्यक वर्ग/शारीरिक रूप से विकलांग /पर्वतीय सीमान्त प्रदेशों, आदिवासी क्षेत्रों, सिक्किम, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप के लाभार्थियों के लिए : 10 लाख रुपये तक की परियोजनाओं के लिए मार्जिन राशि अनुदान परियोजना लागत का 30 प्रतिशत होगी। 10 लाख से ऊपर तथा 25 लाख तक की परियोजनाओं के लिए मार्जिन राशि की दर- 10 लाख रुपये का 30 प्रतिशत तथा परियोजना का बाकी लागत अर्थात शेष 15 लाख के लिए 10 प्रतिशत होगा।


ऋण प्राप्तकर्ता का योगदान :


सामान्य वर्ग के लाभार्थियों के लिए अपना योगदान पूरे परियोजना का 10 प्रतिशत जबकि विशेष श्रेणी के लाभार्थियों के लिए परियोजना लागत का 5 प्रतिशत तक निवेश करना अनिवार्य है।


ऋण की मात्रा


सामान्य श्रेणी के लाभभोगी/संस्था के मामले में बैंक प्रारंभिक तौर पर परियोजना लागत का 90 प्रतिशत राशि स्वीकृत करेगा तथा कमजोर वर्ग के लाभभोगियों/संस्थाओं के मामले में परियोजना लागत का 95 प्रतिशत स्वीकृत करेगा तथा परियोजना स्थापित करने के लिए उचित रूप से पूरी राशि संवितरित करेगा।


नकारात्मक सूची:


माँस (काटे गये पशुओं का) इसका प्रशोधन, डिब्बाबंदी या खाद्य उत्पादन निर्माण के रूप में मांस से बनी वस्तुओं को परोसने से जुड़े/व्यवसाय अथवा बीड़ी/पान/सिगरेट इत्यादि जैसी नशीली सामग्रियों की बिक्री, किसी होटल या ढाबा या बिक्री केन्द्र में शराब का प्रयोग, कच्चे माल के रूप में तंबाकू बनाना/उत्पादन करना। बिक्री के लिए ताड़ी वृक्षों का छेदन इत्यादि।
चाय, कॉफी, रबर जैसी फसलों की खेती, बाग लगाने से जुड़ा कोई उद्योग/व्यवसाय, रेशमकीट पालन (कोया उत्पादन), नारियल जटा, बागवानी, पुष्प उत्पादन, मत्स्य पालन, सूअर पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन से जुड़ी गतिविधियाँ, बिजली की सहायता से सूत एवं कपड़ा (सूती, ऊनी, रेशमी) तथा मिल सूत से बने वस्त्र से संबंधित कोई परियोजना।
20 माइक्रोन से कम मोटाई युक्त प्लास्टिक की थैली का निर्माण, भंडारण, कैटरिंग, डिस्पेंसिंग अथवा खाद्य सामग्री की पैकेजिंग के लिए रिसायकिल्ड प्लास्टिक से बने प्लास्टिक थैले अथवा कन्टेनर और अन्य वस्तुएँ जिससे पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न होती है , का निर्माण।
उद्योग जैसे पश्मीना ऊन का प्रशोधन तथा हाथ करते एवं हाथ बुने जैसे अन्य उत्पाद, प्रमाणपत्र नियमों के क्षेत्र में उसका लाभ लेना एवं बिक्री छूट प्राप्त करना।
ग्रामीण परिवहन।

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