सोमवार, 16 मार्च 2009

व्यावसायिक शिक्षा के लिए उपग्रह आधारित दूरस्थ शिक्षण प्रणाली

श्रम तथा रोजगार मंत्रालय के अधीन रोजगार तथा प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीईटी) ने परीक्षण के तौर पर व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में उपग्रह आधारित दूरस्थ शिक्षण प्रणाली शुरू की है । यह प्रायोगिक कार्यक्रम बेंगलुरू स्थित विश्वेश्वरैया प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (वीटीयू) के स्टूडियो से शुरू किया गया।
यह कार्यक्रम 12 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को ट्रांसमिट किया जाता है । यह संस्थान कर्नाटक में डीजीईटी की उत्कृष्ठता केन्द्र स्कीम के तहत शामिल किए गए हैं। प्रायोगिक कार्यक्रम दक्षिणी राज्यों के कई अन्य स्थानों में भी रिसीव किए जा रहे हैं ।
प्रायोगिक कार्यक्रम के दौरान वीटीयू के स्टूडियो से जून, 2007 के दौरान प्रतिदिन 2 घंटे के लिए व्याख्यानों का प्रसारण किया जाता है । ये व्याख्यान जीवन कौशल और इंजीनियरिंग ड्राँईंग जैसे विषयों पर होते हैं । भारत सरकार देश में व्यावयासिक प्रशिक्षण की निगरानी, पर्यवेक्षण और समन्वयन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है।

श्रम तथा रोजगार सचिव श्रीमती सुधा पिल्लै ने प्रायोगिक कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम से औद्योगिक प्रशिक्षण् संस्थानों खासकर दूर-दराज के क्षेत्रों में स्थित संस्थनों को शिक्षण की बेहतर सुविधाएं प्रदान करने में मदद मिलेगी।
व्यावसायिक प्रशिक्षण क्षेत्र में दूरस्थ शिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्रीमती पिल्लै ने कहा कि दूर-दराज के क्षेत्रों में भी अत्यंत कम समय में इस प्रणाली से व्याख्यान तथा पाठकक्रम प्रसारित किए जा सकते हैं ।
उन्होंने कहा कि इस प्रणाली से पाठयक्रमों की विषयवस्तु में एकरूपता तथा गुणवत्ता पर नियंत्रण सुनिश्चित किया जा सकेगा और अन्य समूह भी इस नेटवर्क के साथ व्याख्यानों की विषयवस्तु का आदान-प्रदान कर सकेंगे । इस प्रणाली से यात्रा, उपस्कर तथा अन्य बुनियादी सुविधाओं आदि की लागत में काफी कमी लाई जा सकती है ।
रोजगार तथा प्रशिक्षण महानिदेशक श्री शारदा प्रसाद ने कहा कि यह प्रायोगिक कार्यक्रम व्यावसायिक प्रशिक्षण के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के परीक्षण के लिए शुरू किया गया है और बाद में इसके तहत देश के सभी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को शामिल करने का प्रस्ताव है ।
इसके लिए बंगलौर के शीर्ष हाईटेक संस्थान में एक राष्ट्रीय स्टूडियो स्थापित किया जाएगा और देश के अन्य हिस्सों में चरणबध्द रूप से क्षेत्रीय स्टूडियो स्थापित किए जाएंगे ।

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