बुधवार, 24 सितंबर 2008

किशोरावस्था : कुछ टिप्स

विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्लड हेल्थ आरगेनाइजेशन) किशोरावस्था, को मनुष्य की आयु (10 से 19 वर्ष) औऱ उसके जीवन काल के आधार पर व्याख्या करता है, जिसमें मनुष्य के शरीर में कुछ विशेष प्रकार के परिवर्तन होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-

शरीर का तेजी से बढ़ना और विकास होना
शारीरिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से परिपक्व होना, लेकिन एक ही साथ नहीं।
यौन संबंधी परिपक्वता और उससे संबंधित गतिविधियां।
नये- नये अनुभव प्राप्त करना।
मानसिक अवस्था में वयस्क लक्षणों की प्रगति और वयस्कता के लक्षण।
संपूर्ण सामाजिक-आर्थिक निर्भरता से परिवर्तन सापेक्ष स्वतंत्रता पर निर्भर करती है।
यौवनावस्था


10 से 16 वर्ष के बीच यौवनावस्था की शुरुआत होती है, इस अवस्था में लड़कियां धीरे-धीरे बचपना से वयस्कता की ओर बढ़ती हैं। इस दौरान शरीर में कई परिवर्तन होते हैं। इनमें शारीरिक संरचना में बदलाव, स्वाभाव में परिवर्तन और जीवनशैली में बदलाव शामिल है। इस दौरान जो बदलाव होते हैं, ये निम्न है -

हाथ, पैर, बांह, घुटने से टखने तक का भाग, जांघ और छाती का आकार बढ़ जाता है। शरीर से विभिन्न प्रकार के हारमोन का रिसाव होने लगता है और ये एक विशेष प्रकार के रसायन होते हैं, जो शरीर के विकास और परिवर्तन में सहायक होते हैं।
शरीर के गुप्तांगों में वृद्धि होना और उनसे रिसाव शुरू होना।
त्वचा पहले से तैलीय होने लगना।
कांख, पैर तथा हाथ के बगल में बाल उग आना।


शरीर की देखभाल करने के साधारण उपाय


शरीर की अच्छी तरह से देखभाल के लिए निम्नलिखित चीजों का ध्यान रखना जरूरी है-

जैसे ही आप यौवनावस्था में पहुंचते हैं शरीर से पसीना निकलने की मात्रा बढ़ जाती है। नहाने से शरीर साफ होता है और शरीर से गंध नहीं आती।
दांत में कोई खराबी न आये और श्वास में दुर्गंध न आये, इसके लिए जरूरी है कि दिन में दो बार दांत की सफाई करें।
चूंकि इस अवस्था में तैलीय ग्रंथी काफी सक्रिय होती है, इसलिए इनसे काफी मात्रा में तैलीय पदार्थ शरीर से उत्सर्जित होते रहते हैं, जिससे मुंहासे निकल आते हैं। किशोरावस्था में मुहांसे निकलना आम बात है और इसे किसी भी तरीके से हटाया भी नहीं जा सकता। हमेशा त्वचा को साफ रखना ही एकमात्र उपाय है।
पौष्टिक आहार लेना जरूरी है। तले हुये मीठे खाद्य पदार्थ से परहेज करें।
हमेशा सकारात्मक सोच रखें, क्योंकि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का निवास होता है।

माता-पिता की सलाह लें


किशोरावस्था मनुष्य के जीवन-काल का एक ऐसा समय है जहां युवा और उनके माता-पिता के सामने कई समस्याएं आती हैं। युवाओं को इन बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए, ये हैं-

अपने परिवार की प्रशंसा करनी चाहिए।
माता-पिता के विचारों और विश्वास की कद्र करनी चाहिए।
माता-पिता की इच्छाओं का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अपने माता-पिता के प्रति हमेशा ईमानदार और खुला विचार रखना चाहिए।
माता-पिता की देखभाल करने के साथ-साथ उनका आदर भी करना चाहिए।

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