शनिवार, 5 जुलाई 2008

भ्रमण, पर्यटन और आतिथ्य उद्योग में रोजगार के अवसर



होटलों और रेस्तरांओं में बड़ी संख्या में कार्यरत पुरुष और महिलाएं अपने शिष्ट व्यवहार तथा आकर्षक मुस्कान के साथ पेश आकर हमें सुख पहुंचाने में कोई कमी नहीं छोड़ते। वे सब व्यावसायिक हैं तथा आतिथ्य उद्योग को संचालित रखने के वास्ते दिन-रात काम करते हैं। यह व्यवसाय ग्लैमर उद्योग का एक भाग है और हाल के दिनों में पर्यटन और निगमित गतिविधियों के साथ इसका भी व्यापक रूप से विकास हुआ है। यह होटल प्रबंधन से जुड़े व्यावसायिको के लिए बहुत ही हर्ष की बात है। इस क्षेत्र में बहुविध प्रकार के अनुभव अर्जित करने की व्यापक संभावनाएं हैं और इससे जुड़े व्यावसायिक मेहमानों की सहूलियत और संतुष्टि को सुनिश्चित करने के वास्ते सभी तरह के कार्यों के समन्वय हेतु एक मिशन के तहत काम करते हैं।
आतिथ्य उद्योग इसमें कार्यरत मानवशक्ति के लहाज से सर्वाधिक बड़े उद्योगों में से एक है जो कि न केवल लोक-आश्रित व्यवसाय है बल्कि एक लोकोन्मुख भी है। पर्यटन से जुड़े समस्त कार्य स्वादिष्ट भोजन जैसे कि बिक्री योग्य उत्पादों और आरामदेह बिस्तरों जैसे प्रचालन कार्यों से ही संबंधित नहीं होते हैं। वर्ष दर वर्ष पर्यटकों के आने-जाने का ग्राफ घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर, ऊपर की ओर चढ़ता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप होटल या आतिथ्य शिक्षा का उद्भव हुआ है। स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत राष्ट्र निर्माताओं ने भारत की बहुविध प्रकार की भव्यता की क्षमताओं को पहचाना तथा व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित मानवशक्ति की जरूरत महसूस की गई। और तब होटल/आतिथ्य शिक्षा का विकास हुआ। ४० वर्षों की अवधि में भारत में होटल सेवाओं की प्रतिष्ठा संपूर्ण विश्व में बढ़ी है जिनमें स कुछ होटल प्रति वर्ष विश्व के श्रेष्ठ होटलों की सूची में नाम दर्ज करा रहे हैं। अरबों डॉलर का आतिथ्य उद्योग हमारे देश का सबसे बड़ा उद्योग है जिसमें ९५ लाख लोगों को रोजागार प्राप्त हुआ है। आतिथ्य उद्योग को एक ऐसे व्यवसाय के रूप मे परिभाषित किया गया है जिसके अंतर्गत आवास, खानपान, पेय और मनोरंजक गतिविधियां आती हैं जो कि होटलों, मोटलों, नृत्यशालाओं, रेस्तरां, मनोरंजक सुविधाओं, पर्यटन, परिभ्रमण आदि से जुड़ी हैं। इस उद्योग में व्यापक संभावनाएं हैं।
आतिथ्य उद्योग का इतिहास बहुत पुराना है जो कि औपनिवेशिक काल से आरंभ हुआ था। उस समय १८७४ में न्यूयार्क शहर में पहला सिटी होटल खोला गया था। समय के साथ-साथ बहुत से परिवर्तन आते गए तथा आतिथ्य उद्योग में वर्ष दर वर्ष महत्वपूर्ण विकास देखने को मिला और इस उद्योग को विश्व युद्ध, अवनमन तथा विभिन्न सामाजिक परिवर्तनों का सामना करना पड़ा है। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत में १९५० के दशक के शुरू में इस उद्योग ने मूर्त रूप लिया और तब एक गतिशील व्यवसाय के रूप में उभरने का रास्ता साफ हुआ। आतिथ्य उद्योग में रोजगार की संभावनाएं भी इस उद्योग के पनपने के साथ-साथ बढ़ती गईं। विभिन्नप्रकार के बहुत से ऐसे कार्य हैं जिनसे आतिथ्य उद्योग में विभिन्न स्तरों के पदों का निर्धारण होता है। पहला कदम प्रवेश स्तर का है जिसमें आरंभिक अनुभव और कौशल प्राप्त किया जाता है जो कि बाद में कॅरिअर की उन्नति में मददगार हो सकता है। पदों के अनुरूप इसमें कार्य सौंपे जाते हैं उन्हे आतिथ्य के अस्तित्व की सफलता के लिए किसी संस्था के महत्वपूर्ण अंग के रूप मे कार्य करना होता है। अगला स्तर कुशल स्तर का है जिसम विशिष्ट कौशल और क्षमताओं को बढ़ाने पर अधिक जोर दिया जाता है जिसका प्रयोग पूर्ण सफलता की प्राप्ति के लिए किया जा सकता है। तीसरा स्तर व्यापक अनुभव, प्रशिक्षण और सूत्रपात से संबंधित है, जिसके तहत कर्मचारियों को नेतृत्व प्रदान करने और प्रबंधन कौशल से जुड़े कार्य आते हैं। अतः इस स्तर को प्रबंधकीय स्तर कहा जाता है। आतिथ्य उद्योग में रोजागार की व्यापक संभावनाएं हैं जिन्ह योग्यता और कौशल के अनुरूप हासिल किया जा सकता है। आतिथ्य उद्योग में बहुत से विकल्प मौजूद हैं। इस उद्योग की यह जरुरत है कि संबंधित व्यक्ति एक अच्छा काम करने वाला हो जिसकी सकारात्मक सोच हो तथा जो व्यंजनों की जानकारी देने में कुशल हो और वह कार्य के प्रति समर्पण की भावना रखते हों। प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को पेशेवर बनाया जाता है और इनके अंदर पेशेवरान रवैया पैदा किया जाता है। आतिथ्य कार्य में विस्तार के साथ-साथ मेहमानों/ग्राहकों की आकांक्षाओं में भी लगातार वृद्धि हो रही है तथा ऐसे में व्यावसायिकों को यह सुनिश्चित करना होता है कि मेहमान सुखद और यादगार अनुभव महसूस कर सकें
आतिथ्य उद्याेग में रोजगार प्राप्त करने के उपरांत धन और पद में लगातार वृद्धि होती है तथा कार्य के सफलतापूर्वक पूरा होने पर लोगों को अच्छा वेतन दिया जाता है। आज अन्य उद्योगों की तुलना में आतिथ्य उद्योग म वेतन बहुत प्रतियोगी प्रकृति का है। इस उद्योग में आकर्षक वेतन उपलब्ध है जो कि व्यक्ति विशेष की क्षमता/कौशल और प्रदर्शन पर निर्भर करता है। यह उद्योग अब काफी जटिल हो गया है जिसके अंतर्गत विशेषीकृत प्रशिक्षण पर बहुत जोर दिया जा रहा है। अब कॉलेजों, तकनीकी संस्थानों, व्यावसायिक विद्यालयों में प्राप्त विशेष कौशल की मांग बढ़ रही है। इसके अंतर्गत कुछ माह से लेकर कई वर्षों के कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं। करीब २०० सामुदायिक और जूनियर कॉलेजों में होटल और रेस्तरां प्रबंधन में २ वर्षीय डिग्री कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं।लिबरल आर्ट या अन्य क्षेत्रों में ४ वर्ष की कॉलेज डिग्री प्राप्त करके प्रशिक्षु या कनिष्ठ प्रबंधक के रूप में दाखिला मिल सकता है। लेकिन होटल प्रबंधक के रूप में कॅरिअर के लिए होटल एवं रेस्तरां प्रबंधन में बैचलर और मास्टर डिग्री कार्यक्रमों से मजबूत पृष्ठभूमि तैयार होती है जो कि भारत में करीब १५० कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में संचालित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में स्नातक डिग्रीधारी व्यक्तियों की नियोक्ताओं द्वारा काफी तलाश रहती है। नव-स्नातकों को जिम्मेदारीपूर्ण कार्य सौंपने से पूर्व अक्सर ऑन-जॉब प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। दरअसल, वे व्यापक श्रृंखला कार्यों में उच्चतम प्रबंधक का पद तक हासिल कर सकते हैं। भ्रमण और पर्यटन भ्रमण और पर्यटन को विश्व में सेवा-आधारित सबसे बड़ा उद्योग माना जाता है। पर्यटन सभी उद्योगों में सर्वाधिक विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला क्षेत्र है तथा यहां लाखों लोगों को रोजागार उपलब्ध है। यह उद्योग निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्रों में संचालित किया जा रहा है जिसमें बड़ी संख्या में ट्रैवॅल एजेंट तथा टूर ऑपरेटर जुड़े हैं। ट्रैवॅल एजेंट ट्रेवॅल और पर्यटन नियोजन तथा व्यक्तियों या समूहों को ट्रिप्स की बिक्री से जुड़े विपणन कार्य करते हैं। टूर ऑपरेटर ट्रैवॅल और गन्तव्य प्रबंधन कार्यों में संलग्न रहते हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन भारत में पर्यटन को प्रोत्साहन देने का काम करते हैं। अतः इस क्षेत्र से जुड़े ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के संगठन पर्यटन अवसंरचना के विकास तथा उद्योग, रेलवे, एयरलाइन कॅरिअर्स के विकास के अलावा देश में भ्रमण करने की इच्छा से आने वाले व्यक्तियों के लिए होटलों, सूचना केंद्रों तथा अन्य सुविधाओं के लिए व्यापक नेटवर्क संचालित करते हैं। इस कार्य में भारत सरकार का पर्यटन विभाग, भारतीय पर्यटन विकास निगम तथाराज्य पर्यटन विकास निगम इन संगठनों की सहायता करते हैं। विशेषताएंट्रैवॅल और टूरिज्म उद्योग में प्रवेश करने वालों का उद्यमशील होना ज्ारूरी है। इस उद्योग में लोगों के साथ संपर्क रखना होता है, अतः उम्मीदवारों का परिश्रमी और गतिशील होना भी जरुरी है। इस उद्योग में उपलब्धि हासिल करना ही सफलता की कुंजी है। ट्रैवॅल कम्पनी के कार्मिकों को पासपोर्ट तथा वीजा आदि से संबंधित वर्तमान नियमों और विनियमों तथा दस्तावेजो की जानकारी होनी चाहिए। विपणन, काउंटर सेल्स या गाइड सेवाओं से जुड़े सभी कार्मिकों को सामान्य पृष्ठभूमि, विमान, सड़क और रेल संपर्कों की जानकारी होनी चाहिए तथा उन स्थानों पर उपलब्ध सुविधाओं के बारे में वे अवगत हों जहां पर उनके ग्राहक जाना चाहते हैं। पात्रता :इस क्षेत्र में प्रवेश के इच्छुक व्यक्ति या तो किसी ट्रैवॅल एजेंसी अथवा ऑपरेटिंग कम्पनी से जुड़ सकते हैं या वे किसी सरकारी विभाग अथवा निगम में कार्य आरंभ कर सकते हैं। इस काम से जुड़ने वाले नए व्यक्तियों को ऑन-जॉब प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। लेकिन ट्रैवॅल और टूरिजम मैनेजमेंट में एक बेसिक डिप्लोमा अधिक कारगार साबित हो सकता है। १०+२ के छात्र व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए होटल प्रबंध में डिप्लोमा या बैचलर डिग्री हासिल कर सकते हैं।
(रोजगार समाचार से साभार)

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